दर्द
दर्द का कभी गिला न करना
सजदा हज़ार कर नाज़ न करना
सिर्फ पहलू दर पहलू देख लेना
कोई वफ़ा करे तो उसकी इल्तेजा करना
दर्द है थम जाएगा कभी न कभी
किसी के लिए बददुआ नही करना
वरना तेरे और उसमें फर्क क्या करना
सिर्फ हयात की दुआ करना।
©rizvi78
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कलम
कलम लरज़ रही थी हक़ीक़त बयानी में
उसे सब पता था ज़माने की बे बयानी में
हवा का रुख़ जो बदला था इंसानियत के हर्फ़ में
कलम इस लिए लरज़ रही थी हर्फे बयानी में
वह इतनी खुदगर्ज़ न थी इस ज़माने में
जिससे एक रात में हो जाए मशहूर कुछ बयानी में
उसे अब भी लाज थी अपने बिकने की
बस वह बे बस थी इस जमाने मे
कलम लरज़ रही थी हकीकत बयानी में -
राही बेवफा
बज़्म में बहुत वाह वाही थी राह चलते चलते
जब जुदा हो गई राहे राह चलते चलते
बड़े कमज़र्फ निकले राही राह चलते चलते
जब उनसे हाथ देने की बात आई छोड़ कर चल पड़े राही राह चलते चलते।
©rizvi78 -
नया साल
भुला दो दिलो में बुगज़ की बात ,
आओ मोहब्बत की बात करे नए साल पर , सबकी मुरादे पूरी हो या रब ,
किसी को कोई मलाल न हो,
न गम हो न शिकवा हो लबो पर,
सिर्फ तेरी मोहब्बत का जाम हो।
नए साल की सभी को बहुत बधाई।
©rizvi78 -
rizvi78 23w
इश्क
इश्क इबादत या वक्त की नज़ाकत
लाफ़ज़ क्या बया करे किस हद तक नज़ाकत
आज की बदली हुई इश्क की हकीकत
इश्क एक सौदागरी और उसकी अलग कीमत
©rizvi78 -
एहसास
न अब वो एहसास बचा न अब वह खुद्दारी ,
हम सब तो जीते है वक्त कट जाने को ,
सिर्फ सीख लिया अपनों में बट जाने को ,
काश कोई ऐसा मसीहा होता जो बाटता इनकी बेसब्री ।
ब फकत नाम इंसान है सिर्फ अपनी बेज़ारी में
©rizvi78 -
जवाब
हर बात का जवाब है
इस लिए मेरा जीवन बे हिसाब है
फक्र करता हु मै अपनी माँ की दुवाओ का
अल्लाह तभी मेरे ऊपर मेहरबान है
©rizvi78 -
खोये सपने
खोये हुए सपने है
मजबूर ज़माना है
हर शहर में दहशत है
बस एक फसाना है
दिल को दिल से जुदा करने का
अब खेल निराला है
बाट दी मंदिर व मस्जिद की दीवार
अब ढूढ़ते रोने का बहाना है
क्या बताऊँ अब हक न रहा सपनो का
वह गुज़रा ज़माना है।
पाक जो थे जिसमें जा से
अब नफरत का खजाना है
क्या कहूँ भगवान तुझसे
यह कैसा ज़माना है
©rizvi78 -
Dil ka kissa
बहुत दर्द का आलम क्या बया करू किस्से
जब दिल के हाथों हो गया सौदा तो क्या बया करू किस्से
मुझे क्या पता ज़माना बदल गया है सौदागरी का
अब माने नही रखता दिल के सौदे दिल के किस्से ।
©rizvi78 -
rizvi78 30w
ए दिल
रफ्ता रफ्ता वक़्त कट जाएगा ए जज़्बाते दिल
बस तू अपना हौसला बनाए रखना ए दिल
©rizvi78
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जीवन का सत्य यही
बिन ऋतु जीविका नहीं
पर्याप्त नहीं सम्पूर्ण जैसा
पर पतझड़ से घबराना कैसा।
आए आंधी आए तूफ़ान
जीवन दर्शन का रूप एकाकार
स्वंय को सशक्त कर, न डर जीवन पथ पर,
तू ले सपथ।
जीवन रूपी सागर में
तू बढ़ता चल निरंतर
विश्वास मार्ग पर ही मिलेंगे परमेश्वर
स्वंय मांझी बन पतवार को मझधार से निकाल
जीवन संग्राम को जीत
बनकर मिसाल।
है जीवन का सत्य यही
बिन मौसम जीवका नहीं
यह पर्याप्त कहां सम्पूर्ण जैसा
परंतु अब, समंदर से घबराना कैसा।
©lazybongness -
I settled down into a routine of daydream and sleep
What is a secret of success
something we do daily or
to innovative entirely.
I know that the future defines
the way we reap and sow.
Unfortunately my routine left me
with arrow and bow.
Every time I tried to have
a little adventurer,
my routine gets so deadlier.
Where choices left inspiration consistently and my body fell in love with laziness literally!
Every morning - laziness, feeling tired, and crankiness blow me out.
Like an old woman i certainly laugh about
By the time afternoon - i like to catch a nap however chaos heart looks for tranquility to write without trouble.
Though i want to tune in another frequency but being a couch potato i feel relaxed, undoubtedly!
Oh here comes the night - cleverly like a snap
Just to tuck in and settle in for a long winter nap
Though struggling for comfort, quietly picked up a book
The soft beautiful dawn is smiling at me captivatingly!
Asking me: Why do you spend the day doing nothing - tell me why you remain invisible?
Here repetition and regret of friendship is fake. This life has lack of calmness.
What's the fun in saying that but whatever is happening, I am to blame!
©lazybongness -
nehakushwaha 42w
अपने हमारे
हमारी बातों से सब नाराज लगते हैं,
कुछ कहे कोई हमसे तो बातो में कई राज़ लगते हैं ,
नाराजगी है किसी अपने से , तो उसे अपना होने का अहसास एक बार दिला कर देखो'
बदल रहा है सब कुछ, और बदलते वक्त के साथ लोग खुद भी बदल रहे हैं,, खुद की तलाश में अपनों से दूर हो रहे हैं;
पर तुम अपनों के पास थोड़ा आकर देखो ,,
कहां खुशी मिलती है किसी को दुख देकर, कहां शांति मिलती है अपनों से दूर रहकर,,
एक बार अपनाओ उसे उसके गलती पर हाथ थामो और ले जाओ उसको अपनी खुशियों की बस्ती पर ,,
आज झगड़े हैं तो कल झगड़ों के मसले भी दूर होंगे एक दूसरे को खुद से दूर करोगे तो सारे सपने चूर-चूर होंगे ""
अपनों से अपना कोई नहीं होता कोई ऐसे ही नहीं कह गया है,,
सोचा समझा बहुत होगा उसने, अपनों से दूर रहकर बहुत कुछ सहा होगा उसने,,,,
कभी अपनों से अपना कोई नहीं होता तब जाके ये शब्द कहा होगा उसने ❤️❤️
©nehakushwaha -
ishq_allahabadi 32w
ग़म/غم
تمہارے غم کی شدت کو مجھے محسوس کرنے دو،
اگر جینا نہیں ممکن تو مجھ کو ساتھ مرنے دو۔
तुम्हारे ग़म की शिद्दत को मुझे महसूस करने दो,
अगर जीना नहीं मुमकिन तो मुझको साथ मरने दो।
©ishq_allahabadi -
lazybongness 45w
खुशियों के आँगन में,..
एक पेड़ ज़रूर लगाओ
गम के कुछ पत्ते झड़ जाएंगे।
©lazybongness -
lazybongness 50w
200th post
आखों देखा : वह लड़की, एक आस मन में लेकर ढूंढ़ रही थी जीने के तरीकों को।बचपन
दुपट्टे में उलझी बचपन
खामोश खड़ी कोने से
झाँक रही थीं,
शायद हक़ीक़त ने
पाठ पढ़ाया था।
©lazybongness -
priyankarawat 49w
दोस्ती
दोस्ती maths नही जो इसको calculate किया जाए
दोस्ती science नही जो इसे experiment किया जाए
दोस्ती तो बादशाह का वो genda full सोंग हे
जो ना समझे भी enjoy किया जाए
©priyankarawat -
kajalaashish 69w
जख्म
ईस आदमी ने इतने जख्म दिये है मेरी रूह को
के गर कोई ओर मेरी रूह को देखे तो उसे सिर्फ टूटा हुआ जिस्म नजर आये
©kajalaashish -
lazybongness 51w
Yeh पड़ाव : Aaj क़ैद कर liya hai उन सपनों ko,
Jinki बुनियाद कमजोर thi aur
मनसूबे बाग़ी।यह समझ'ना - समझाने का पहलू बड़ा अजीब है,,
यूही नहीं जुड़ते एहसास ... तहज़ीब अलग हैं।।
©lazybongness -
isikaa 51w
बचपन
क्या उम्र थी वो भी बचपन की
आजाद थे हम,थी बेफिक्री भी ।
वो राह भी कितने सुलझे थे
अपने ही सपनों में हम उलझे थे ।।
अपने ही मन की हम करते थे
खेल खिलौनों पर बस मरते थे ।
दिन भर गलियों में फिरते थे
संभलते कभी कभी गिरते थे ।।
किस्से कहानियां सुनते रहे
अपनी ही इक दुनियां हम बुनते रहे ।
जाने फिर कब हम बड़े हुए
बचपन की दौर वो छोड़ चले ।।
किस्से कहानियों का प्यारा जीवन
है बस बचपन के सपनों का एक दर्पण ।
जीवन के भाग दौड़ में ऐसे फंसते गए
की बचपन के यादों को ही हम तरस रहे ।।
अब तो हर पल ही ये सोचते हैं
खुद से ही सवाल हम बस करते हैं ।
जानें क्यों हम बड़े हुए
क्यों नन्हें से सपनों को हम छोड़ चले
क्यों नन्हें से सपनों को हम छोड़ चले ।।...
©isikaa
