अलविदा
ruu_e_asar
dekhu.n kya kisi ko.... khudhi se anjaan hu.n
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ruu_e_asar 20w
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ruu_e_asar 20w
फ़िर लगता है छोड़ जाऊँ इन गलियों को
अक्सर दिल टूटा है मिरा आकर यहाँ पर
©ruu_e_asar -
ruu_e_asar 20w
ग़ज़ल
बहुत बोझ लिए जिए जा रहा हूँ ज़िंदगी
चाहकर भी उतार न पाऊँगा मानता हूँ
ज़ाहिर कर दूँ कैसे हाल-ए-दिल अपना
नफ़रत करेंगे सभी बात मैं भी जानता हूँ
तुमीं से शुरुआत हुई थी फ़लसफ़े के इस
तुमीं पर आकर यह आख़री साँस लेगी
दरमियान कम हो न फ़ासलें हद से ज़दा
वाकई बात को दिल-ओ-जाँ से पहचानता हूँ
बोए तो थे हमने ही मिलकर बीज़ नुकीले
काँटों का मिलना कोई इत्तिफ़ाक तो न है
अभी बहे ख़ूँ-ए-ज़िग़र का तो क्या हुआ
थोड़ा सह लो तुम भी दर्द जो बाँटता हूँ
सही तो यहीं है ज़िंदगी अधूरा हूँ तुम बीन
कर्ज़ तो साँसों का भी चुकाना है ता-उम्र का
बग़ैर कौन था मैं नाम का इस जिस्म में
क्या फ़र्क गिरता है अब किसे मैं चाहता हूँ
निग़ाहों ने खाया धोखा जो मस'अला दिल का था
ख़ुली रख पागल निसार होने चला था कभी
बे-गाना कर गया वहीं ज़िंदगी हम दोनों को
लम्हा-दर-लम्हा उज्र से हिज्र को काटता हूँ
किसी महफ़िल में अब दस्तक देते नहीं हम कभी
अक्सर माहौल रुस्वा होते देखे है हम दोनों ने भी
क़तारें यूँ बनाई है जमाने से के गुमनाम हुए हम
झलकता था नाम जो 'विशू' दीवारें कहाँ लाँदता हूँ
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ruu_e_asar 20w
अक्सर निग़ह ने जो जभी देखा धोखा था शायद
वर्ग़ना हल्ल-ए-बे-हाल-ए-दर्द-ए-दिल का मिलता
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ruu_e_asar 20w
ग़ज़ल
पर्दानशीं हूँ जमाने से मुझे नक़्काबी रहने दो
जला है चराग़ तो अभी इन्कलाबी रहने दो
निहारना मत तिश्नगी निग़ह से जिस्म को यूँ
बे-ख़ुदी पाली जो मैंने तो शराबी रहने दो
उक़्दा-ए-आसाँ क्या होगा फ़रेबी जो बनाया
क़ुबूल है तो सभी ज़ुर्म में नवाबी रहने दो
हमीं से तो था दौर जो आया-ठहरा-गुज़रा
सवालों से कह दो के हमीं को जवाबी रहने दो
किसी के बस में न थे हम, न होंगे कभी फ़िर
फ़लसफ़ा-ए-ज़ीस्त ख़राबी है तो ख़राबी रहने दो
रखे है इस तरह ख़ुदी को क़ैद इक ख़जाने जैसा
ख़िताबी न सही हम पर हमें किताबी रहने दो
बे-पर्दा ग़र हुए तो बे-रंग हर मौसम आता-जाता
'विशू' को छुपाए हुए ताले की चाबी रहने दो
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ruu_e_asar 21w
दिल-साफ़ सादा रखूँ
बड़ा नेक ज्यादा रखूँ
शिकवों के बा-वजूद
सलामत वो वादा रखूँ
रम्ज़-ओ-राज़ सभी के
सलामत पास उक़्दा रखूँ
©ruu_e_asar -
वो टूटे है आईने बात से जो आयाम दिखाते थे
मुसलसल ग़लत था तो सर-ए-आम दिखाते थे
ना-क़ाबिल ठहरा हूँ परख के लिए हमेशा से मैं
सही रह-ए-सफ़र में सुनहरी जो शाम दिखाते थे
अभी मुमकिन न है कोह'नूर फ़िर से तलाशना
दर-ब-दर फ़क़त अब मिरे वो इल्ज़ाम दिखाते है
©ruu_e_asar -
ruu_e_asar 21w
दौर-ए-हिज्र क्या आया के अपने ग़ैर होते देखे
थे कभी मिरे सजाए हुए वो सपने ग़ैर होते देखे
©ruu_e_asar -
ruu_e_asar 21w
मैं ग़र समंदर हुआ तो उसका साहिल बन जाना
रह-ए-मुसाफ़िर हुआ तो तुम मंजिल बन जाना
©ruu_e_asar -
दास्ताँ-ए-उल्फ़त उसकी ज़ुबानी याद है मुझे
दास्ताँ-ए-ग़म-ए-हिज़्र की कहानी याद है मुझे
गुज़रा हरेक सितम, आज़ाब दर्स वऱक पर है
अंदाज़-ए-नज़र में सारी जवानी याद है मुझे
©ruu_e_asar
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बड़ी नाकद्री हुई राह-ए-मुहब्बत में मिरी, लेकिन
अब मुहब्बत के मुँह पे तमाचों की बरसात होगी
©yusuf_meester -
गर मैं ऐसा होता... जैसे की तुम हो
तो आँखों में पानी ले लेके रोती तुम
©yusuf_meester -
बाग़ीचा सूखे पत्तों से भरा हुआ था
दूर-दराज एक दरख़्त हरा-भरा था
समझता रहा वो खुद को ही अकेला
जो बच्चा कभी सितारों में पला था
जिस कहानी में लिखी दास्ताँ हमारी
उस कहानी में हमारा राज़ खु'ला था
इश्क़ की दुनिया में हम दोनों का
एक बड़ा ही दिलचस्प मा'मला था
मैं आगे बढ़ ने की तैयारी कैसे करता
मेरे सर पर तो प्यार का भूत चढ़ा था
वही नैन नक्श वही रंग रूप है उसका
जो मैं ने अपनी डायरी में लिखा था
आपको ख़बर नहीं ' सप्तरंग ' नींद में
कि होली की सुबह किसने रंगा था
©7saptarangi_lekhan -
ankitpriyadarshi 20w
फ़ित्ना- उत्पात, मुसीबत (trouble)
पामाल - पांव के निशानों से ढका हुआ, कुचला हुआ (with numerous footprints)
ज़र्फ - योग्य, लायक (deserving)
अर्ज़ किया है......
#shayari #hindi #urdu #poetry #future #life #love @ruu_e_asar @iamfirebird @ishq_allahabadi @parle_gमानता हूं ज़माने की ज़िद के आगे झुकना होगा,
पर मज़ा, ज़माने की बातें टालने में कितना होगा.
चाहे है ये ज़माना सबको एक ही सांचे में ढालना,
आएगा एक दिन जब इस चाहत से फ़ित्ना होगा.
लाखों की भीड़ चल रही है पहले ही इन राहों पर,
पामाल इन राहों का सफ़र अब और कितना होगा.
डरते डरते भी शामिल तो करना ही है किसी को,
देखें हाल ज़िंदगी का भला होगा कैसा, जितना होगा.
थे 'ज़र्फ़' पहुंचे जहां, रह गए वहीं के वो हो कर,
पर अभी हमें ना जाने चलना और कितना होगा.
©ankitpriyadarshi -
abhi_mishra_ 27w
I don't want to complete these "Perfectly Incomplete" lines.
#hindi #hindiwriters #abhimishra️
फ़िर आयत पर मैं लिखूँ तुझे,
गर किसी मोड़ पर दिखूँ तुझे।
तू आँख चुरा कर छुप जाना,
फ़िर इश्क़ ना करना, रुक जाना।
©abhi_mishra_ -
abhi_mishra_ 26w
Perfectly Incomplete - 2
अज़ाब - पीड़ा
शब - रात
मुक़म्मल - जिसके पूरा होने पर पूर्ण विश्वास हो।
#hindi #hindiwriters #abhimishra️
चुप रहने की कसक, कह देने का अज़ाब,
हर शब मुसलसल टूटता मुक़म्मल सा ख़्वाब।
©abhi_mishra_ -
️
बात जो निकलेगी दिल से, ज़ख़म तो गहरा करेगी,
गुज़रेगी शायद अश्कों से, या पलकों पर ठहरा करेगी।
©abhi_mishra_ -
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बेक़रारी है मुसलसल, जान जाती भी नहीं,
इतनी बेरुख़ी है कि मुझको सताती भी नहीं।
अब तो बस यूँ है इस उम्र का आलम,
दिन गुज़रता भी नहीं, मौत आती भी नहीं।
©abhi_mishra_ -
abhi_mishra_ 25w
आह - दुःख
बेज़ार - नाख़ुश
मुफ़लिस - तलबगार
मुज़्तरिब - बेचैन
#hindi #hindiwriters #abhimishra️
कोई आह से बेज़ार, कोई वाह का मुफ़लिस,
मैं मुज़्तरिब इश्क़ से, कुछ और बात कर।
©abhi_mishra_ -
abhi_mishra_ 20w
बेख़ुदी - बेख़बरी
बेकली - बेचैनी
बेकसी - विवशता
जुनूँ - जुनून
#hindi #hindiwriters #abhimishra️
दो घड़ी उनकी राह में, जो बैठ लें तो बेहतर,
वो बिखरी हुई जुल्फ़ को समेट लें तो बेहतर।
बेख़ुदी है, बेकली है, बेकसी है यूँ तो,
वो भी जुनूँ का दामन लपेट लें तो बेहतर।
©abhi_mishra_
