शिव-शक्ति विवाह
गले में भुजंग डाले
मृग छाल तन डाले
दुल्हा बने भोले करें
नंदी की सवारी हैं......
भभूति गात साजते
जटा में गंग धारते
मात गौरी ब्याहने
पधारे त्रिपुरारी हैं......
डमरू, त्रिशूल हाथ
भूत-प्रेत लिए साथ
वर-यात्रा ऐसे देख
भीति सखि सारी हैं.....
मुख मुस्कान सोहे
गौरी माँ का मन मोहे
प्रेम को निभाने देखो
आए औघड़दानी हैं....
©saroj_gupta
saroj_gupta
मेरी कलम से✍️.....
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saroj_gupta 12w
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saroj_gupta 12w
शिव
ब्रह्मा भी शिव, जीव भी शिव हैं,
जीवन के दृढ़ नीव भी शिव हैं ।
श्वास भी शिव, प्रश्वास भी शिव हैं,
जीने का विश्वास भी शिव हैं ।।
छाॅंव भी शिव औ धूप भी शिव हैं,
ऊर्जा के प्रतिरूप भी शिव हैं ।
जीवन के अवसान भी शिव हैं,
परमज्ञान व्याख्यान भी शिव हैं ।।
नर में शिव, नारी में शिव हैं,
जग के हर प्राणी में शिव हैं ।
बारम्बार नमन उस शिव को
जो भोले भंडारी शिव हैं ।।
©saroj_gupta -
saroj_gupta 21w
समस्त मिराकी परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ
आप सभी स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहेंनववर्ष मंगलमय हो
नव पल में हम नव उमंग से
अभिनंदन नव वर्ष करें ।
नव विहान में नव स्वप्नों को
पल्वित कर परिपूर्ण करें ।।
नव युग का निर्माण करें हम
मन को नवचेतन बल दें,
भूख, गरीबी, बेकारी को
दूर भगा नूतन कल दें,
भ्रष्टाचार मिटा करके हम
नव भारत निर्माण करें ।
नव विहान में नव स्वप्नों को
पल्वित कर परिपूर्ण करें ।।
वो पल फिर आयेगा जब
सोने की चिड़िया फिर होगी,
राजगुरु संग भगत सिंह
झाॅंसी की रानी फिर होगी,
जन्मभूमि के हित के खातिर
निज स्वार्थों का बलिदान करें ।
नव विहान में नव स्वप्नों को
पल्वित कर परिपूर्ण करें ।।
जब हम स्वार्थ रहित होंगे
तब ही नव जागृति होगी,
नव रूप मिलेगा स्वप्नों को
नव पर, नव आकृति होगी,
प्रेम भाव के पुष्पों से
माँ भारत का श्रृंगार करें ।
नव विहान में नव स्वप्नों को
पल्वित कर परिपूर्ण करें ।।
©saroj_gupta -
गुंजित
खुशियाॅं रहे तेरे जीवन में हर पल
गीतों की धुन मन में गुंजित रहे,
प्रखर स्वर्ण जैसी हो आभा तुम्हारी
तन मन खुशी से आनंदित रहे ।
छोटी सी आयु में सपने बड़े हों
राहों में वैभव के यश भी खड़े हों
यही कामना मेरी शुभकामना है
सदा लेखनी तुमसे गर्वित रहे ।।
©saroj_gupta -
दीदी अनिता
गरिमामयी व्यक्तित्व से,करती हमेशा दंग हैं ।
गागर में सागर वो भरें, भावों की निर्मल गंग हैं ।।
हैं कलम की वो धनी,सारी विधा में दक्ष हैं ।
दीदी अनीता वो मेरी, परिवार की वो यक्ष हैं ।।
दीदी नहीं इक शब्द है,ममता का इक पर्याय ये ।
लेखनी से है जुड़ा,अद्भुत सा इक अध्याय ये ।।
मनभावनी व्यक्तित्व है,रस छंद की इक धार हैं ।
दीदी हैं सबकी प्यारी वो, परिवार की आधार हैं ।।
ये जन्मदिन शुभकामना, स्वीकार करिए आप अब ।
अनुजा बधाई दे रही, करिए नमन स्वीकार अब ।।
©saroj_gupta -
saroj_gupta 35w
पुत्रियों पर तो बहुत से लेख और कविताएँ पढ़ने को मिलती हैं,परंतु पुत्र पर या पुरुष पर बहुत कम लेखन दिखाई देता है,मैने पुत्रों के लिए कुछ लिखने का प्रयास किया है, बहुत दिनों बाद कुछ लिखना हुआ यदि कहीं कुछ त्रुटि हुई हो तो अवश्य इंगित करिएगा ☺
पुत्र
पुत्र के भी वेदना को जानिए,
कष्ट होता है उसे भी मानिए ।
मन में चिंतन भाव लेकर वो रहे
घावों को उसके भी तो पहचानिए ।।
यदि इन्हें हम इक उचित आकार दें,
प्रेम औ....कर्तव्य के संस्कार दें ।
राष्ट्र के आदर्श नायक ये बनेंगे
यदि उचित मूल्यों भरा परिवार दें ।।
उत्तराधिकारी यदी वो पितृ का,
साथ में बोझा लिया दायित्व का ।
निर्वहन करने की खातिर वो चला
छोड़ कर सुख गेह औ अपनत्व का ।।
ग्रीष्म, वर्षा, शीत सह हर वेष में,
प्रेषित न कर वो दुख किसी संदेश में ।
बस दिखाता है खुशी हर रोज अपनी
चाहे दुख लाखों सहे परदेश में ।।
भाई है वो बहना का पहरेदार बन कर,
बेटा है वो माँ बाप का पतवार बन कर ।
जब देश के हित में चला लड़ने लड़ाई
माँ भारती का इक सिपहसालार बन कर ।।
होते नहीं हैं पुत्र सारे व्याभिचारी,
ये भी होते हैं....बड़े ही संस्कारी ।
क्यूँ भला थोंपे सदा हम दोष इन पर
इनको गढ़ना है हमारी जिम्मेदारी ।।
©saroj_gupta -
सनेह जिनके स्वभाव में है
सरस्वती.....कंठ में विराजे,
सशक्त जिनसे है लेखनी ये
जो लेखनी कर में उनके साजे ।
प्रदीप्ति करती सभी के मन को
वो लेखनी की दीया अलौकिक,
दीया ये जगमग करे सदा ही
सभी के मन पर सदैव राजे ।।
जनम दिवस की है धूम घर में
बधाई ये.....आँगना में बाजे ।।
©saroj_gupta -
भारत माँ के माथ की बिंदी
ऐसी अपनी भाषा हिंदी
आओ सुदृढ़ करें हम इसको
पहुँचाएँ जन जन तक हिंदी
©saroj_gupta -
saroj_gupta 37w
लेखनी परिवार
है परिवेश अनेक हमारे, प्रांत अनेक से आये हम,
उम्र, लिंग या जाति की सीमा, से ऊपर उठ आये हम ।
बने लेखनी के परिजन हम, लिखना सबका ध्येय यहाँ,
सीखें सिखलाये यहाँ सभी, यूँ एक कुटुबं कहलाये हम ।।
मन में संशय तनिक नहीं, सब खुल कर रखते बात यहाँ,
परिवारिक सम्बन्ध सरीखे, पुत्री, पुत्र और तात यहाँ ।
सुंदर गीत, गज़ल, छंद , हर भाव विधा की धार बहे,
है यही कामना ईश्वर से, चिर आयु ये परिवार रहे ।।
©saroj_gupta -
saroj_gupta 40w
बहना एक जरूरी है
जीवन के हर दौर में सबको
बहना एक जरूरी है ।।
घर आँगन के हर कोने में
हर पल मेरे साथ जो खेले ,
कभी प्यार दे मुझको जी भर
और खिलौने कभी वो ले ले ।
बचपन की आँख मिचौली में
बहना एक जरूरी है ।।
ब्याह के जब ससुराल से अपने
त्योहारों पर मिलने आये ,
घर भर जाये तब खुशियों से
राखी जब वो बाँधने आये ।
खुशियों के हर इक अवसर पर
बहना एक जरूरी है ।।
संशय हो जब कोई मन में
शामिल रहती हर उलझन में ,
सही गलत का भेद बता कर
हल कर दे मुश्किल इक पल में ।
जीवन जब संघर्ष भरा हो
बहना एक जरूरी है ।।
©saroj_gupta
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rahat_samrat 24w
जन्मदिन की बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई@saroj_gupta मैम,
खुशियाँ मनाओ मंगल गाओ आज मेरी मैम का बर्थडे है ओये होय मेरी मैम का बर्थडे है अहा मेरी मैम का बर्थडे है।कविता- मातृत्व
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प्रेम प्रतीति प्रीति सम श्यामा,
नील सरोज ओज अभिरामा।
जिह मातृत्व सकल तम हारे,
सरसिज नयन सरोजहि नामा।
लय कोकिल लयबद्ध अलंकृत,
जह लखि प्रेम तिहाँ प्रिय संतत।
ममता जिह यशुदा महतारी,
अविरल प्रेम सुधारस संगत।
शशि सम सौम्य, श्याम निशि सरिता,
भविता भाव उदारहि कविता।
लेख जिमी लखि प्रेम परागा,
अगणित अमिय सुधारस नमिता।
सागर शब्द सिंधु हिय ओही,
सरल स्वभाव सुकीरति जोही।
जिमि सृजना साहित्य सुजाना,
हे ममतादि प्रणामहि तोही।
©rahat_samrat
मैम के मातृत्व भरे अनुराग के लिए कुछ भी कहना मेरे बस में नही है बस कुछ टूटे फूटे शब्द मैम की ममता को प्रणाम करने हेतु सँजोये है।
मैं गलती न करूँ ऐसा हो ही नही सकता, तो उसके लिए क्षमा चाहती हूँ।
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anita_sudhir 78w
रस्में
*देहरी गाने लगी है*
ब्याह की रस्में निभाकर
देहरी गाने लगी है ।।
मेहँदी रचती हथेली
भाग्य की गाढ़ी लकीरें
ऊँगलियाँ साजें अँगूठी
रीति के बजते मँजीरे
जब शगुन हल्दी लगाती
नीति दूर्वा ने सिखाई
प्रेम का हो रंग पक्का
जब अहम करता ढिठाई
भूमिजा का आचरण हो
बात यह भाने लगी है।।
आरती का थाल हँसता
सालियों के हाथ में अब
सात फेरों की सुनो
जन्म सातों साथ में अब
शुभ विदाई भी सिसकती
तात बिन जीवन अधूरा
अंजुरी की खील कहती
धान्य का भंडार पूरा
माँग सिंदूरी सजी जब
मान वो पाने लगी है ।।
छाप कुमकुम कह रही है
दो चरण लक्ष्मी पड़े हैं
द्वार के झूमे कलश भी
शुभ पिटारी ले खड़े हैं
गाँठ पल्लू की खुली जो
नेग ननदी माँगती है
है मिलन की दिव्यता जो
ध्रुव अडिग सा चाहती है
उर पटल पर सेज की वो
फिर महक छाने लगी है।।
अनिता सुधीर आख्या
©anita_sudhir -
guftgu 30w
Hiii My Dear Friend's. Kaise hai Aap sab ?
@miraquill @writersnetwork @writerstolli @hindiwriters @hindinama #poetry #pod #podcast #love #rekhtaक्या पता था इतना संगीन जुर्म भी हो सकता है,
सिर्फ तुम्हारी आदत ही लगी थी मुझे !
©guftgu -
73mishrasanju 30w
बस यूँ ही
तम तमी अँखियों में बीत गई ,
तुम बेवज़ा फिर याद आ गई ।
हम टूट गए थे बा वज़ तुम पर
तुम तम सी बेवफ़ा यामिनी हो गई।
बा वज़ / सभ्यता के साथ
बेवज़ा/ बगैर बनावटी ढंग के
©73mishrasanju
26 /10/2021 4:00 am -
rani_shri 31w
"तुमसे जो दिल का रिश्ता है, वो पल दो पल में टूटेगा नहीं क्योंकि तेरे दिल का मेरे दिल से रिश्ता पुराना है और हां मेरी दुनिया है तुझमें कहीं कि तेरे बिन मैं क्या कुछ भी नहीं।"
फ़क़त इतना भी लिख दूं तो वो तेरे लिए बहुत होगा। लेकिन क्या करूं मजबूर हूं, जब तक एक सीमा नहीं आ जाती मैं लिखती रहूंगी तेरे लिए।
मेरी जान, @gunjit_jain
जब मैं ये लिखने बैठी तो कुछ सूझा ही नहीं कि क्या लिखूँ। तुझे तेरा 'तुम' होना लिखूँ या तुझे मेरा 'मैं' होना लिखूँ। बहुत सोचा, बहुत तलाश किया लेकिन कोई एक शब्द नहीं मिला जिसमें तेरे लिये अपने दिल का सार लिख दूँ। तुझे किस चीज़ की संज्ञा दूँ, किस उपमा में अलंकृत करूँ, किस विधा का प्रयोग तुमपे करूँ या कौन से रस में तुम्हारी बात लिखूँ। मेरे शब्द और मौन दोंनो तेरे पास ही छोड़ रखे हैं तो एक काम कर न, या तो उन्हीं शब्दों से ख़ुद ही कोई शब्द बना ले अपने लिये या मेरे मौन को ही मेरा शब्द समझ ले।
अपनी जिंदगी का एक और बसंत तेरे हिस्से में आया है। तू 17 साल का हो गया है अब। उम्र का एक ऐसा पड़ाव जहां अच्छी और बुरी दोनों ही चीजें बराबर रूप में देखने को मिलेंगी। लेकिन तुझे बहुत संभल कर जिंदगी जीनी हैं क्योंकि यही उम्र सबसे ज़्यादा सिखाता है और यही सबसे ज्यादा पढ़ाता है। बाकी मुझे बोलने की कोई ज़रूरत नहीं कि तुझे जिंदगी कैसे जीनी चाहिए क्योंकि तू ख़ुद ही इसमें पारंगत है। सबसे मिल जुल कर रहना या अपने साथ लेकर चलना, सब तेरे अंदर खुद-ब-खुद है, मुझे कुछ सिखाने की जरूरत नहीं है, मुझे कुछ बताने की भी ज़रूरत नहीं है।
तेरी तारीफ में क्या कहूँ? जिसकी परवरिश तू है उसे अपनी परवरिश पर नाज़ है, जिसका साथी तू है उसे अपने साथ पर नाज़ है जिसका शागिर्द तू है उसे अपनी उस्ताद होने पर नाज़ है। और मुझे नाज़ है अपनी ज़िंदगी पर जो कि तू है। हम दोनों ही एक दूसरे का बहुत मज़ाक बनाते हैं। लेकिन हम दोनों को ही कोई फर्क नहीं पड़ता और बेवकूफ की तरह उस पर हंसते रहते हैं। तेरे साथ हर रिश्ता है और कुछ नहीं तो वो पार्ट टाइम ..... वाला भी। खी खी खी खी।
चल अब बस कर रही तेरे लिये कुछ लिख कर।तेरा गुंजित होना लिखूँ या कहीं न कहीं रानी होना लिखूँ,
तू ही कह अगर तो तुझे मेरी ही कोई कहानी होना लिखूँ।
तुझे ज़मीं पर ही अपना वो कोई आसमानी फितूर लिखूँ,
या तुझे मेरा हँसता खिलखिलाता सा चेहरा नूरानी लिखूँ।
क्या लिख दूँ तुझे सुबह की इबादत या शाम की आरती,
या तुझे वाकई ख़ुदा की मौजूद होती कोई निशानी लिखूँ।
के लिखूँ मेरे बचपने को असानी से सहती हुई संजीदगी,
या मेरी उम्र पर सजती अलग हसीन कोई जवानी लिखूँ।
लिख दूँ तुझे आसमान या धरती का गुलाबी सा कोई रंग
या मेरी बेरंग सी इस ज़िंदगी का सतरंगी रंग धानी लिखूँ।
क्या तुझे तेरी ही उम्र का सलीका लिखकर के रख दूँ मैं,
या तुझे मेरी चंचल पागल सी हर वक्त की नादानी लिखूँ।
क्यों, कैसे, कहाँ, कब, कौन, क्या लिखूँ से आगे बढ़कर
तेरा गुंजित होना लिखूँ या अक्स -ए- रानी होना लिखूँ।
तेरे लिये पूरी दुनिया को झुका दूँ मगर तू मेरी वो दुनिया है जिसके आगे मेरा सर झुकता है और जिसकी वजह से वही सर गर्व से ऊँचा भी हो जाता है।
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई मेरे लल्ला खूब खुश रहो और तरक्की करो और कलम से दुनियाभर में बदलाव लाओ और क्या बोलूँ?
मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूँ।
तेरी दीदू
~तेरी जान -
parle_g 31w
आजारी - पीड़ा ,उत्पीड़न
फ़नकारी - कलाकारी ,कुशलता
मल - rub
@vipin_bahar @bal_ram_pandey @iamfirebird @prashant_gazal @anas_saifi
पता है... इस ग़ज़ल को लिखने में... मेरे हाथ कांप रहे थे और मेरी आँखों मे आँसू गिर रहे थे मोबाइल की स्क्रीन पर...कोई कैफ़ियत तक नसीब नही मुझे यहां
मां होती तो दुआओं से ही ठीक कर देती मुझे... दवाएं काम नही कर रही मेरे..ग़ज़ल ( जाती है )
वज़्न - 2122 2122 2222 222
बैठी रहती हूँ मग़र यक आजारी खल जाती है
अब मिरे हा'थों से अम्मी हर रोटी जल जाती है
तुम कब'से बैठे हो चाहत लेकर इस कूचे में
दाग़ बैठे रहने से अब बीमारी पल जाती है
मैंने देखा है मुहब्बत में पड़'कर अरसों पहले
इस मुहब्बत में रजा हर इक़ हसरत ढल जाती है
ये नही की कोई मुझ'को अपने पहलू में रख ले
माँ कहाँ हो तुम, मिरे सिर की चो'टी खुल जाती है
कोई क़ा'तिल अब तिरी तस्वीरें लिखता है मुझपे
अब याँ कोई ज़िन्दगी, जो बे'वजहा चल जाती है
इक़ दो पर्दे फिर ग़ज़ल की चौखट पर रखते है हम
कल सुना था इक़ हवा है, फ़न'कारी मल जाती है
©parle_g -
rani_shri 31w
#nayab_naushad
Ek baap hona hi aasan nahi hai us par beti ka baap hona matlab har ache bure ka dhyan rakhna padta hai.आसान नहीं एक बेटी का बाप होना।
दुनिया के तानों का अभिशाप ढोना।
आसान नहीं एक बेटी का बाप होना।
अधिक प्रेम करने पर भी तंज सहना,
कम प्रेम में भी तो सबके रंज सहना।
उसके संग खेलना, रूठने पर मनाना,
हंसते हुए भी कांटे जैसा कंज सहना।
उसके जन्म से ही पैसे बचत करना,
खिलौनों की जिद का भी जाप ढोना।
आसान नहीं एक बेटी का बाप होना।
बेटी बड़ी हो रही, उसे सब सिखाना,
सभी की बुरी नज़रों से उसे छिपाना।
ऊंगली न उठने पाए मान सम्मान पर
बिटिया अब तू ही मेरी लाज बचाना।
जवान निर्दोष बेटी से छेड़खानी पर,
तब अपनी बदनामी का संताप ढोना।
आसान नहीं एक बेटी का बाप होना।
कभी उसे पढ़ाने के लिये यत्न करना,
तो कभी शादी के लिये प्रयत्न करना।
जिस अनमोल रत्न को नाज से पाला,
किसी और को दान वही रत्न करना।
और अगर वो शादी टूट जाए तो फ़िर,
चुपचाप उस अपमान का छाप ढोना।
आसान नहीं एक बेटी का बाप होना।
डोली सजाने के लिये अंग अंग देना,
आंसुओं से सींचके जीने के ढंग देना।
ससुराल में अत्याचार से पीड़ित बेटी
जब मर जाए तो फ़िर क्या रंग देना।
आंखों के सामने उसका शव देखकर,
जीवनभर उस दुख का विलाप ढोना।
आसान नहीं एक बेटी का बाप होना।
~रानी श्री -
_gourisharma 32w
Subha ki kirno me tum ho...
Raat ki chandni me tum ho...
Meri hasi me tum ho...
Or meri aankh me behate aansu bhi to tum hi ho...
Tum hi ho....सुबह की किरणों में तुम हो...
रात की चांदनी में तुम हो...
मेरी हसीं मे तुम हो...
और मेरी आंख से बहते आंसुओ
में भी तो तुम ही हो....
तुम ही हो ....
©_gourisharma -
anshuman_mishra 32w
बेड़ियां-कर - हाथों में बेड़ियां व्योम - आकाश
चपला - बिजली झंझावात - तूफानआज मत कहना कि अंधियारा घना है..
बेड़ियां -कर , रक्त - भीगे केश लेकर,
अधर सूखे, अर्धमृत - सा वेश लेकर,
यदि तनिक भी आत्मगौरव शेष हो तो,
उठ चलो अभिमान के अवशेष लेकर!
जो उठा है, वो मिटा है, या बना है,
आज मत कहना कि अंधियारा घना है..
तीव्र चपला वार से है व्योम मरता,
शीत झंझावात से कण-कण ठिठुरता,
अश्रुओं की धार को तब अस्त्र कर लो,
काट दो हर बंध जो है कैद करता,
अब कदम पीछे हटा लेना मना है,
आज मत कहना कि अंधियारा घना है..
_अंशुमान___ -
anshuman_mishra 32w
हो चुका विश्वास है अब, मैं चुका हूं हार तुझको..
पौध है, पर जल नहीं है! तन कहीं पर, मन कहीं है..
रात्रि नीरसता भरी है! श्वास है, जीवन नहीं है..
प्रेम अब दिखता कहां है? हर दिशा में बस धुआं है..
आस की जलती चिताएं, दे रहीं धिक्कार मुझको!
हो चुका विश्वास है अब, मैं चुका हूं हार तुझको..
_अंशुमान__
