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shabdanchal
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shabdanchal 144w
शब्दांचल द्वारा हाल ही में प्रकाशित किया गया नया संकलन जिसमें 160 से अधिक लेखकों ने भाग लिया। इस पुस्तक को आप amazon से प्राप्त कर सकते हैं।
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shabdanchal 160w
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shabdanchal 161w
शब्दांचल भाग-1 (कविताएँ) अब Amazon kindle पर Ebook के रूप में उपलब्ध है।
आप सभी amazon पर "shabdanchal ebook" लिखकर पुस्तक को देख और पढ़ सकते हैं।..
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shabdanchal 172w
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shabdanchal 172w
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shabdanchal 172w
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shabdanchal 172w
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shabdanchal 189w
हमारी पहली पुस्तक "इश्क़ ए नगमा" जिसमें 150 से अधिक लेखकों की 400 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं व उन सभी लेखकों को उनकी रचनाओं के लिए पुस्तक के अंदर पूरा श्रेय दिया गया है।
आप google पर "इश्क़ ए नगमा" Search करके अधिक जनकारी ले सकते हैं।
@naman_khandelwal.
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_athazaz 137w
फैसला
मौत।
एकता, अपनेपन, शांति के बयानों में,
इक मौत हुई है आज,सच्चे मायनों में।
उस शख्स को आदत थी धर्म की एक
दूजी किताब मानने की,
तो बस, खाली हुई तलवारें कुछ मयानों की।
होंगी कुछ ख्वाहिशें, कुछ तमन्नाएं भी उस शख्स की,
चिराग वो भी था प्यारा बड़ा, खुद के, वंश की।
तोड़ दी उसकी उंगलियां, काट दिया उसका गला,
ढूँढेगा खुदा उसे आज इबादत में, पूछेगा राम भी
क्यूँ नहीं बज़ी मंदिर में आज घंटियाँ।
उसकी माँ का फोन जब आज आएगा,
बेटे को पुकारती चीखें जब वो फोन सुनाएगा,
ऐ तलवारों की भीड़ बताओ,
उसकी माँ को कौन समझाएगा?
मुक्कदमों की वज़ह है ज़मीन का टुकड़ा जो,
मार दिया उस शख्स को तुमने,
इक बाप का दर्पण था वो मुखड़ा जो।
याद करो आज राम को, अज़ान भी आज पढ़ी जाए,
ये बुरा सपना मेरा सच कहीं ना हो जाए।
देश आज ये मेरा, दो हिस्सों में ना खो जाए।
है लिखा जो मंज़र, क्या ऐसा कुछ होनेवाला है?
क्यूँ रो रहा है आज आसमां?
खून के धब्बे क्याँ वो धोनेवाला है?
क्याँ अभी वो और रोनेवाला है?
©_athazaz (Animesh kumar) -
writershikhakashyap 137w
जब इंसान की जरूरतें पूरी होती है ना तो इंसान बदल जाता है।
जब इस दिल पर चोट लगती है तो एक मामूली इंसान भी शायर बन जाता हैं।
©writershikhakashyap -
komalsahu89 136w
Ayodhya
एक ही खुदा के बन्दे हैं
फिर क्यूँ मज़हबी दन्गे हैं
कभी तुम गीता पढ़ो...
कभी मैं कुरान पढूँ....
कभी मैं चादर चढ़ा दूँगा
कभी तुम चुनरी चढ़ा देना
बैठ जाने मरम ख़ुदाई का
तोड़ सके भरम जुदाई का
आओ थामे हाथ भाई-भाई का
लाल हम एक ही भारतमांई का.!
©Komal Sahu -
pandey0608 137w
#mirakee #writercommunity #sger #ghazal #shayari #gulzar #shabdanchal @shabdanchal
सहबा - wine/ especially red wine
सहरा - desertउस नाचीज़ को ज़ालिम समझा क्यूँ है,
ग़र नशा वो नज़रें हैं फिर सहबा क्यूँ है ?
बताते रहते हो मैं इश्क़ का दरिया हुँ,
तो वफ़ाई के नाम फिर सहरा क्यूँ है ?
मतलबी दुनिया में उसने साथ है छोड़ा,
तो आज भी उस रज़ा पे भरोसा क्यूँ है ?
तुम कहते हो तुमने मोहब्बत है निभाई,
तो बताओ रक़ीब से फिर रिश्ता क्यूँ है ?
कई बरस हो गए हैं तुम्हें उन्हें भूले हुए,
तो उन अध्जले खतों को रक्खा क्यूँ है ?
बड़ी फ़िक्र थी तुम्हें उनकी सादगी की,
तो हर महफिल में बेवफ़ा कहता क्यूँ है ?
©पाण्डेय जी -
rimmi24 138w
प्रदूषण
अब तो तरस आता है इस दिल और दिल्ली पर,
लगता है 'द' लफ़्ज़ पर ही कोई ग्रहण लगा है।
©rimmi24 -
avneeshashok 137w
हो सके तो भूल जाना मुझे,
अब खाबो में आकर बे-वज़ह ना जगाना मुझे
हा थी इक अधूरी सी मोहब्बत तुझसे
जो शायद अब भी हैं
अब खयालो में ही तुम मिल जाना मुझे
हो सके तो भूल जाना मुझे
भूल जाना वो बातें सभी
मुसलसल हुई वो चन्द मुलाकातें सभी
हां कहा था तुमसे, तुम मेरे सब कुछ हो
पर शायद वो महज बातें ही थी
दिल बहलाने की चन्द रातें ही थी
हा निकला था चाँद उस दिन भी
अब महज अंधेरा ही बाकी है
चाँद सितारों की बातें ना करूँगा अब तुमसे
ना तुम करके अब बहलाना मुझे
खैर अच्छा लगा यूँ बिखरकर टूट जाना मुझे
हो सके तो भूल जाना मुझे।
©Avneesh_Ashok -
its_me_apii 142w
आज मेरी एक रचना " शब्दांचल भाग -4 " में प्रकाशित हुई है ।। मैं यह बताते हुए गर्व एवं ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ.. !! •••••••
इस सफर में मेरा साथ देने के लिए सभी का तय दिल से शुक्रिया ❤✍
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मुझे बेहद खुशी हुई जब मम्मी पापा ने मेरी रचना को पढ़ा और वो बेहद खुश हुए और मुझे आशीर्वाद दिया ❤️❤️
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और यह अवसर देने के लिए शब्दांचल की पूरी टीम का तय दिल से धन्यवाद !! @shabdanchal @shabdanchal_publication ❤️
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आप सभी भी *शब्दांचल भाग-4* को online ख़रीद कर पढ़ सकते है.. !!
यह आपको amazon पर उपलब्ध होगी ..... (पुस्तक को खरीदने के लिए amazon पर जाकर " शब्दांचल भाग 4 " को search कीजिये )
https://www.amazon.in/dp/B07X74PXD9/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_uuNADb3A2YMK8
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johar_alfaaz 150w
Yeh Zindagi Hamari Hasraton Se Nahi Chalti
Yaha Hota Wahi Hai Jo Kismat Me Likha Hota Hai
©johar_alfaaz -
चलिए आज तुम्हारी यादों को इन नफ़रत के अंगारो मै राख करते है,
इस दिल के सुलगते अरमानों को आज यही दफ़न करते है।।
©priyalgoyal -
कभी कभी हर खुशी पाने के बाद भी
कुछ अधुरा सा लगता है!!!!!
©neha_chanchala
