ऐ जिंदगी
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मन की गिरह में उलझी तन्हाई शोर मचा गई,
मुस्कां के पीछे ठहरे दर्द, आंखों में सजा गई,
ऐ जिंदगी हजारों गिला शिक़वा है मुझे तुझसे...
उम्र तड़पी, जद्दोजहद में जीने को जिंदगी तुझे,
कल होगा ना कुछ इस तरह से हिसाब किया तुने,
ऐ जिंदगी हजारों गिला शिक़वा है मुझे तुझसे...
कितनों को वो भी मिला भला, जो दिया मुझे तुने,
ये सोच कर खुशी से जी रहीं हूँ जिंदगी तुझे,
ऐ जिंदगी हजारों गिला शिक़वा है मुझे तुझसे...
...✍ Sujata Swaroop
©ss2908
ss2908
SUJATA SWAROOP
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नवरात्र में व्रती के लिए कन्याएं देवी समान होतीं हैं,
पर, पापा के लिए हमेशा पापा की बिटिया होती हैं...पापा के लिए
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पापा के लिए बाग की दीप्तिमान कली है,
मध्यम-मध्यम बयार सी हौले-हौले चली है,
पापा के लिए वो सुमधुर जीवन संगीत है,
मिश्री सी बोली संग जैसे मनोहर गीत है,
पापा के लिए सुरीले गीत की सरगम है,
निर्मल निश्छल मुस्कान सजती सकल मन हरदम है,
पापा के लिए करे बाल हठ मनुहारी है,
मानमनौवल से झट मान जाए प्यारी है,
पापा के लिए पलकों की राजकुमारी है,
आंखों के पानी सी बसे राज दुलारी है,
पापा के लिए माथे का सुन्दर ताज है,
बिटिया से ही सजता घर आंगन आज है|
... ✍Sujata Swaroop
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उगते सूर्य सा कोई अथ हो न सके...
डूबते सूर्य का जो कोई भक्त नहीं|
हृदय हलचल को कोई समझ ना सके...
भेड़ सा होता भी कोई अंधभक्त नहीं|
चार बाँह भी कंधों की स्तंभ बन न सके...
दु:ख है, सफ़र में साथ अपने रक्त नहीं|
चार वाणी, एक के लिए एक हो न सके...
विराट सत्य है, मौन का संगी वक्त नहीं|
चार कदम अकेले चला ना जा सके...
शुक्र है, जो जिन्दगी इतनी भी सख्त नहीं|
...✍ Sujata Swaroop
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जरूरी होता है ???
उठने के लिए गिरना,
मिलने के लिए बिछड़ना,
अपना भी रूतबा है ये बतलाना,
दूसरे को नीचा दिखा खुद को उठाना,
अपने को व्यस्ततम दिखाना,
दूसरों को व्यर्थ जान उपेक्षित करना,
खुद को जानने के लिए एकांत में होना,
अपनी एहमियत दिखाने के लिए दोस्तों को खोना,
सुख की खुशी के लिए दु:ख से गुजरना,
सब की खुशी के लिए खुद के अरमान कुचलना,
रिश्तों को निभाने के लिए एक को झुकना,
रिश्ता जोड़ने के लिए पुत्री को सब कुछ छोड़ना,
जो अपने हैं उन्हें एक किनारे करना,
बेगाने को अपनों से ज्यादा अपना बनाना,
जो नहीं है उसको तरसना उसके पीछे भागना,
चादर से बाहर पैर पसार अपना अस्तित्व खोना,
... जरूरी है ???
...✍Sujata Swaroop
©ss2908 -
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|| नभ: स्पृशं दीप्तम् ||
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आकाश को स्पर्श करने वाला देदीप्यमान है,
स्थापना दिवस; अक्टूबर 8, 1932; जान है|
महत्वपूर्ण एवं अत्याज्य अंग है यह भारतीय सशस्त्र सेना का,
कार्य इनका; वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का|
राॅयल इंडियन एयरफोर्स नाम से गठित एवं नामित था,
द्वितीय विश्वयुद्ध 1945; में निभाया महत्वपूर्ण साथ था|
जब 1950 में भारत पूर्ण गणतंत्र घोषित हुआ था,
'राॅयल' हटा सिर्फ इंडियन एयरफोर्स नाम हुआ था|
गहरा नीला, हल्का नीला और सफेद रंग हैं इनकी पहचान,
आकाश सी स्वछंदता, विशालता व स्थिरता दर्शाती हुई शान|
युद्ध में सक्रियता अलावा भारतीय वायु सेना प्राकृतिक आपदाओं में भी करती बचाव कार्य,
राहत सामग्री बांटने, खोज व बचाव कार्य, नागरिक निकासी में पूर्ण रूपेण सहायता करती अनिवार्य|
सुखोई-30, मिराज-2000, जैगुआर, मिग-29, मिग-21, तेजस हैं इनकी शान,
लड़ाकू विमान दस्ते में जुड़ 'राफेल', बढ़ा रहा भारतीय वायुसेना की आन -बान|
आकाश को छूता और दहाड़ता हुआ सा नभचर है भारतीय वायुसेना,
'नभ:स्पृशं दीप्तम्' को बखूबी बयान करता भारतीयों का गौरव है भारतीय वायुसेना||
... ✍सुजाता स्वरूप
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Pic credit: To the rightful owner.... ✍Sujata Swaroop
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बापू एक बार तो फिर से लौट आ...
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समाज पर छाये बादल हटाने आ,
गर्त में नष्ट होने से पहले उठाने आ,
मानव को दानव रूपी होने से बचाने आ,
पशु आवरण से मनुष्यों को निकालने आ...
घर-परिवार के साथ की गुरुता समझा जा,
स्त्रियों की समाजिक आस की महत्ता बता जा
देश व देशवासियों की एकता की कीमत आंँक जा,
बची इंसानियत को मृतप्राय होने से पहले जगा जा...
अहिंसा परम धर्म है यह बता जा,
अहिंसा परम सत्य है यह जता जा,
अहिंसा परम शांति है यह सिखा जा,
अहिंसा परम सुख है यह दिखा जा...
बापू एक बार तो फिर से लौट आ!!
... ✍Sujata Swaroopबापू एक बार तो फिर से लौट आ...
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समाज पर छाये बादल हटाने आ,
गर्त में नष्ट होने से पहले उठाने आ,
मानव को दानव रूपी होने से बचाने आ,
पशु आवरण से मनुष्यों को निकालने आ...
घर-परिवार के साथ की गुरुता समझा जा,
स्त्रियों की समाजिक आस की महत्ता बता जा
देश व देशवासियों की एकता की कीमत आंँक जा,
बची इंसानियत को मृतप्राय होने से पहले जगा जा...
अहिंसा परम धर्म है यह बता जा,
अहिंसा परम सत्य है यह जता जा,
अहिंसा परम शांति है यह सिखा जा,
अहिंसा परम सुख है यह दिखा जा...
बापू एक बार तो फिर से लौट आ!!
... ✍Sujata Swaroop -
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अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस(२१ सितम्बर)
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कितना अच्छा हो...
अगर, पशु-पक्षियों की तरह किसी राष्ट्र की ना कोई सीमा हो,
हम इंसानों का बंधन किसी राष्ट्र की ना कोई सरहद हो|
अगर, अगल-बगल या दूर का हर राष्ट्र भी कभी अपना हो,
ये भी अपना-वो भी अपना, कितना सुन्दर ये सपना हो|
हर सुबह खुशहाल सवेरा और हर शाम... रात सुहानी हो,
ना दुर्गम स्थल सेना की तैनाती हो, ना फैली कहीं उदासी हो|
पशु की तरह स्वछंद विचरण और पक्षियों की तरह कलरव गुंजन हो,
तो... जहां में कितनी सुन्दर जमीं कितना रंगीन आसमाँ हो|
... ✍Sujata Swaroopअंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस(२१ सितम्बर)
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... ✍Sujata Swaroop
©ss2908 -
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फेसबुक (हास्य)
सोशल मीडिया का बहुचर्चित चेहरा है "फेसबुक",
"सोसाइटी" से जुड़ने की बहुआयामी है ये "बुक",
खिचड़ी पकती यहाँ बहुतेरी "बाय हुक या क्रूक",
तस्वीरों, "स्टोरीज़" से होते एक दूसरे के सम्मुख |
नये-पूराने दोस्तों, रिश्तेदारों से होता यहाँ मिलाप,
मुंह फेरने वाले भी ऐसे मिलते जैसे भरत मिलाप,
चाहे या अनचाहे एक ही सुर ताल में लगाते हैं आलाप,
"लाईक-डिस्लाइक" में एक दूसरे से मिलाते हैं आलाप,
"फेसबुक" पर हो जाती है पूरी हर किसी की चाह,
जैसे यह हो भेड़ों का एक पसंदीदा हरा चारागाह,
एक अगुआ राह दर्शाता तो सभी पीछे क्रमबद्ध चले,
निहारे प्रथम दर्शक कोई अन्य तो टिप्पणी प्रेषित करे ||
... ✍Sujata Swaroop
©ss2908 -
ss2908 88w
हिन्दी दिवस
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वात्सल्य से भरी... आत्मीय है हमारी हिन्दी|
भावों से भरी, मीठी... रसीली है हमारी हिन्दी|
शब्दों की अलौकिकता को... सजाती है हिन्दी,
अपनों के बीच आत्मीयता को... बढ़ाती है हिन्दी|
हम भारतीयों का संस्कार है... अरदास है हिन्दी,
सरस्वती का वास... ममता का एहसास है हिन्दी|
ग्रंथों, किंवदंतियों, कविताओं का... साज है हिन्दी,
सभ्यताओं, संस्कृतियों, गाथाओं का... राज है हिन्दी|
हिन्दी भाषा की रूचिता और शुचिता से... इसका सम्मान है,
हिन्दी की उत्तमता, और विशिष्टता से... हिन्दोस्ताँ का मान है|
... ✍सुजाता स्वरूपहिन्दी दिवस
... ✍सुजाता स्वरूप
©ss2908 -
ss2908 89w
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस
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शिक्षा ही मजबूत व सुन्दर राष्ट्र का
निर्माण करती है,
अच्छी साक्षरता दर विकसित देश का
प्रमाण देती है|
सीमा, वर्ग और रंग से शिक्षा न तौलें,
साक्षर वही जो परहित को दिल खोले|
साक्षरता को धर्म व लिंग भेद से न जोड़ें,
सभी को बिना भेद शिक्षा की ओर मोड़ें|
सिर्फ पढ़ने और लिखने की क्षमता को ही साक्षरता का मापक न मानें,
इंसान हैं तो इन्सानियत और ममता को भी साक्षर होने का मापन मानें||
... ✍Sujata Swaroop
©ss2908अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस
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... ✍Sujata Swaroop
©ss2908
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divyanshi28_03 27w
#season #wod @writersnetwork @miraquill
#writersnetwork #miraquill❤️
Thank you @writersnetwork for the kind Repost ✨
#topography #wodWinters
A pallid sky,
dim cold nights,
shimmering greens,
Balls of cotton wool,
Frosty wind whispers,
Phoebe's angelic glow,
Warm breaths,
Frosted kisses and
White haired winter.
©divyanshi28_03 -
4 पंक्तियाँ...
जख़्मों की तो बात न कर,
कि दर्द से रिश्ता गहरा है!
मेरी न सुन बस अपनी सुना,
मेरे शब्दों पर 'मधु' पहरा है!
श्रीमती माधुरी मिश्रा 'मधु'
©meri_ankahi_rachanayen -
anita_sudhir 27w
बिरसा मुंडा
जनजातीय गौरव दिवस
एक आदिवासी नायक ने,आजादी की थाम मशाल। क्रांतिवीर बिरसा मुंडा ने,उलगुलान से किया कमाल।।
धरती आबा नाम मिला है,देव समझकर पूजें आज।
कलम धन्य है लिखकर गाथा,लाभान्वित है पूर्ण समाज।।
शौर्य वीर योद्धा थे मुंडा,जल जंगल के पहरेदार।
उलगुलान में जीवित अब भी,माँग रहे अपने अधिकार।।
सबके हित की लड़ी लड़ाई,नहीं दिया था भूमि लगान। एक समाज सुधारक बन के, कार्य किए थे कई महान।।
विष देकर गोरों ने मारा,छीन सके क्या क्रांति विचार। परिवर्तन की आंधी लेकर,जन्मों फिर से हर घर द्वार।।
अनिता सुधीर आख्या
©anita_sudhir -
संघर्ष
संघर्ष वास्तविक हर्ष है, संघर्ष बिन जीवन व्यर्थ है,
संघर्ष ही यथार्थ है, इससे होता जीवन कृतार्थ है।
भाग्य भरोसे बैठने से, नहीं है कुछ भी मिलता,
नित तपता है अग्नि में, तब कंचन रूप है मिलता।
सहज-सरल जो मिल जाए, वो तो भीख समान है,
परिश्रम करके प्राप्त हो, उसमें ही निहित सम्मान है।
जीवन यात्रा में, राह की बाधाओं से लड़ना पड़ेगा,
अंतः साहस जगा कर, कर्म-पथ पर चलना पड़ेगा।
चंद श्वासों में क्या पता, जीवन कब सिमट जाएगा,
सुखों की इच्छा में, अंत में पश्चाताप लिपट जाएगा।
भय को त्याग, प्रबल इच्छा को लेकर गतिशील हो,
उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगे, प्रण संग प्रगतिशील हो।
लक्ष्य पाना है तो, शूलों पर गौरवमय लेख लिख दे,
संघर्ष से पार, सुखद कथा के अभिलेख लिख दे।
जीवन को कर दे सार्थक, संघर्ष एकल विकल्प है,
जब संघर्ष संग हो मैत्री, तब आवश्यक संकल्प है।
©Krati_Sangeet_Mandloi
(30-5-2021)✍️ (14-11-2021) -
dil_k_ahsaas 28w
एक लेखक जानता है कि कैसे उसे अपने शब्दों के बीजों को बो कर एक लहलहाती फसल को तैयार करना है। वो अपने ख्याल, ख्वाब, विचार, तर्क, वितर्क, आशाएँ, निराशाएंँ, भावनाएँ इत्यादि इत्यादि के बीज काग़ज़ रूपी खेत पर रोंपता है और अपनी कलम के सहारे धीरे धीरे इस फसल को तैयार करता है।
" एक लेखक जानता है "
एक लेखक जानता है
कैसे ज़ख्मों को शब्दों में ढालना है
स्याही बन दर्द सिसकता है पन्नों पर
हर पन्ना दिल की कहानी कहता है।
एक लेखक जानता है
कैसे दर्द को सुन्दरता का कवच पहनाना है
सीलता है घाव अपने, कलम में पिरो कर कच्चे धागे
वो ताउम्र उस एहसास को जिन्दा रखता है
जो भी उसका दिल जलाता है।
एक लेखक जानता है
कैसे यादों को पन्नों में संजोना है
कभी कड़वाहट तो कभी हंसी को बिखेर कर
हर पन्ने पर जीवित रखना है
कि जब भी पढ़ो तो लगे अरे! ये तो कल की ही बात थी।
एक लेखक जानता है
अपने संग संग दूसरों के मन की स्थिति
वो यहाँ वहाँ नजरें गड़ाए
कुछ ना कुछ खोज ही लाता है अपने मतलब का
और फिर कहानी यां कविता बना फूंँक देता है उसमें प्राण
कि पढ़ने वाले को लगे कि घट गया सब आंँखों के सामने बन कर यथार्थ।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना
©dil_k_ahsaas -
️
कहने को काफ़ी एक लफ्ज़ ही मुक़म्मल,
लिखने जो बैठूँ, तो जहां कम है।
©abhi_mishra_ -
odysseus 30w
....and I laughed
OR
...and I began to laugh
My kid brother painted his face and I laughed
Mom hit him with a plastic mace and I laughed
She tied his hands with a shoelace and I laughed
He ran and climbed upon a suitcase and I laughed
Pop accidentally broke a vase and I laughed
Mom chased him; they ran a race and I laughed
Mom stumbled as pop slowed his pace and I laughed
Panting, poor pop stood in one place and I laughed
©charudatta_kelkar
Just for Fun - Temporary
#epistrophe #miraquill @miraquill @writersnetwork #wodMy kid brother painted his face and I laughed
Mom hit him with a plastic mace and I laughed
She tied his hands with a shoelace and I laughed
He ran and climbed upon a suitcase and I laughed
Pop accidentally broke a vase and I laughed
Mom chased him; they ran a race and I laughed
Mom stumbled as pop slowed his pace and I laughed
Panting, poor pop stood in one place and I laughed
©charudatta_kelkar
©odysseus -
anita_sudhir 28w
गीतिका
छाए जब घनघोर अँधेरा,मन में आस जगाता कौन।
बीच भंवर में नाव फँसी है,इससे पार लगाता कौन।।
खड़ा अकेला बचपन सहमा,एकल होते अब परिवार
दादी नानी के किस्से का,नैतिक पाठ पढ़ाता कौन।।
सामाजिक ताने-बाने का,भूल गए हैं लोग महत्व
परंपरा जब बोझ लगेगी,होगा युग निर्माता कौन।।
कथनी-करनी का भेद बड़ा,व्यथित हृदय के हैं उद्गार ।
एक मुखौटा ओढ़ खड़े हैं, इसको आज हटाता कौन।।
शक्ति रूप में देवी पूजन,फिर बेटी पर अत्याचार
मर्यादा आघात सहे जब, इसका मान बचाता कौन।।
एक दिवस अठखेली कर, हिंदी घूमी चारों ओर।
शेष समय चुपचाप पड़ी है,नित्य महत्व बढ़ाता कौन।।
ऋषि मुनियों की भारत भू पर, वैदिक संस्कृति का इतिहास।
सत्य सनातन धर्म हमारा, इसको आज सिखाता कौन।।
अनिता सुधीर आख्या
©anita_sudhir -
rangkarmi_anuj 33w
खाट
दो सांसों के बाद
जिस्म वहाँ से उठ चुका था,
रह गई थी वहाँ पर
बुढ़ापे की कमज़ोर जर्जर वाली चादर,
और सिलवटों में झुर्रियां आ चुकी थीं
धागे टूट रहे थे, आधी बची हुई चादर
फट चुकी थी, छोटे छोटे छेद भी उभर आये थे
और तकिए पर जमी थी पसीने की परछाई।
आँगन में जलता हुआ
दीपक और लालटेन
धीरे धीरे जल रहे थे
गर्दन झुकाए हुए,
खामोश रात और सन्नाटे में
पेड़ बस बातें कर रहे थे
हवा उनसे बात कर रही थी,
लालटेन और दीपक चुपचाप सबकुछ
सहन कर रहे थे,
क्योंकि मौन धारण किये हुए थे।
उनके सामने सिसक रहा था चूल्हा
जिसके धुएं से घर को आंसू आ रहे थे,
उससे सटा हुआ किवाड़ हवा के
सहारे बाहर झाँक कर देख रहा था,
सकरी को खटखटा कर किसी के
गए हुए को वापस बुला रहा था,
घर की दीवारें रंग छोड़ रही थी
बस उनके पास पानी के निशान थे
जो बरसात में लंबी लकीर बनकर
खिंची हुई थी।
बिस्तर चादर और तकिया
ख़ुद को बोझ समझ रहे थे
क्योंकि वो लदे हुए थे खाट के ऊपर,
खाट चरमराती हुई
बीच से खोखली हो गई थी,
पटसन उधड़ चके हैं
और आख़िरी सांस ले रही थी
खाट, उसपर लेटा हुआ वो
कब का चला गया था,
खाट को अब चैन की नींद नहीं आएगी
उसका मन कह रहा है कि उसे फेंक देना चाहिए।
©अनुज शुक्ल "अक्स"
©rangkarmi_anuj -
deepajoshidhawan 40w
#rachanaprati59 @ishu__
माफ़ी चाहेंगे। पिता विषय पर लिखना था और हमने
माता और पिता दोनों पर ही लिख दिया। दरअसल अब
दोनों ही हम से दूर चले गए हैं। तो किसी एक के लिए
लिखने को कलम ही नहीं चलीमाता-पिता
घूम लिया संसार सब, इन सा मिला न कोय
तात मात की चरन रज , काशी काबा होय
जननी सम दूजा कहाँ , दोउ नैनन मुस्काय
नौनिहाल को पेट भर , अपनी क्षुधा छुपाय
पिता बना जाना तभी , दुःख तुम सहे हज़ार
घट समान गढ़ा मुझको, बनकर एक कुम्हार
ईश्वर से बिनती यही , कभी करूँ ना पाप
मातु पिता छाया तले , सदा राखिये आप
©deepajoshidhawan
