सरस्वती वंदना
जय हे वीणा वादिनी माँ !
जय हे किरपा दायिनी माँ ।
ज्ञान अंजन मल नयन में ..
ज्ञान भर दे बुद्धि मन में ।
हर ले तम , तम नाशिनी माँ।
जय हे वीणा वादिनी माँ ।
ताल-लय छंदो की रानी ..
तू तो माँ वेदों की ज्ञानी ।
स्वर दे , सुर नव रागिनी माँ ।
जय हे वीणा वादिनी माँ ।
चेतना -दीपक जलाकर ..
क्षुद्र मानव का भला कर ।
शुभ्र छवि हंस वाहिनी माँ ।
जय हे वीणा वादिनी माँ ।
@succhiii
succhiii
बिखरे बिखरे से अल्फ़ाज़
-
-
ग़ज़ल
न आँसू ही , न तो , ये दर्द थमता है ।
ऐ मोहब्बत ,ये तुझसे कैसा रिश्ता है ।
शमाँ भी बुझ गई , जल -जल के सारी शब ..
धुआँ ही अब धुआँ हर सिम्त उठता है ।
बहारो ने भी , मुख यूँ मोड़ रक्खा है ….
महज़ ख़्वाबों में खार-ओ खार दिखता है
हवायें ,ये फ़जायें , रात , ये जुगनू ….
सभी चुप हैं , मुसलसल वक्त चलता है ।
यूँ ही कब -तक रहें सय्यार राहों के …
न मंज़िल ही , न साया कोई दिखता है ।
किसे आवाज़ दें , किसको पुकारें अब ..
गया इक बार जो , कब फिर पलटता है ।
दुआयें तेरी ,माँ …बस ..साथ है मेरे ..
वगरना और क्या , जो साथ चलता है ।
गया ये साल भी ,कानो में कुछ कह कर..
कलेंडर बदला है ..या , कुछ बदलता है?
@succhiii -
किसे आवाज़ दें …किसको पुकारें अब ..
गया एक बार जो…कब फिर पलटता है ।
दुआयें तेरी ,माँ …….बस , साथ है मेरे ..
वगरना और क्या….जो साथ चलता है ।
@succhiii -
succhiii 27w
ज़बी—माथा
तिजारत -व्यापार
काफिरी- नास्तिक , विरोध
अना -ego
मीटर - 1222 1222 1222ग़ज़ल
जलाकर ये दिलो -जाँ रौशनी की है ।
यूँ ही रौशन नहीं ये ज़िंदगी की है ।
तिजारत कोई रिश्तो में नहीं रक्खी
न यूँ ही फ़ायदे की दोस्ती की है ।
लगाये बारहा इल्ज़ाम , दुनिया ने ..
मिली हमको सज़ा , सादा-दिली की है ।
जबी पे ग़म वो रक्खे , जो दिये तूने ..
कभी हमने , न कोई काफ़िरी की है ।
समझते “सूचि” की वो बंदगी कैसे ..
अना से अपने, जिसने दिलबरी की है ।
@succhiii -
ग़ज़ल
ख़ुशी की ख़ुशी कोई ग़म का न ग़म है ।
न जाने ये क्यूँ आज फिर ,आँख नम है ।
जिधर देखिए दश्ते-सहरा ही सहरा …
कि अहले सफ़र में यहाँ ,ख़म ही ख़म है ।
ज़माने तिरे चंद ख़ुशियों के सदक़े ….
किये जीस्त पे हमने ,पैहम सितम है ।
नहीं जो तू पैकर मेरे रूबरू है ..
ख़यालों में मेरे सदा ही बहम है ।
तेरे चाहतों के दयारो में यक्सर ..
फ़क़त हमने देखें ,भरम ही भरम है ।
अधूरे से कुछ ख़्वाब , हैं चंद यादें..
यही हमने जोड़ी थी , बरसो रक़म है ।
है दिल की फ़क़ीरी , कलम आशिक़ी है ..
मुझे क्या कमी है , करम ही करम है ।
@succhiii -
succhiii 47w
मुसलसल -निरंतर
तसलसुल - निरंतर
ब-दस्तूर -हमेशा की तरह
212 212 212 212
@sanjeevshukla_ग़ज़ल - ज़िंदगी
डूबते तो कभी हम उभरते रहे ।
रौ में दरिया तेरे यूँ ही बहते रहे
इस तरह भी बसर जीस्त करते रहे..
चोट खाते रहे और हँसते रहे ।
ज़िंदगी की पढ़ाई मुसलसल रही ..
इंतिहाँ भी ब-दस्तूर चलते रहे ।
काश और आस के जंगलो में फँसे ..
जाने कब से तसलसुल भटकते रहे ।
रूक जा ऐ ज़िंदगी ठैर जा तू ज़रा ..
आबले पा के, कब-तक यूँ सिलते रहे?
जी तो लेने दे उन लम्हों को भी कभी ..
राह- ए-दिल से सदा जो गुज़रते रहे ।
रात यूँ याद आई किसी ख़्वाब की …
गुफ़्तगू चाँद तारो से करते रहे ।
ख़ैर है ! रौशनाई रही हाथ में …
शुक्र हम तो , खुदा तेरा करते रहे ।
“सूचि” माने भी तो हार कैसे कोई …
ख़्वाब पलको में कल के जो पलते रहे ।
@succhiii -
succhiii 48w
आज ज़रा कुछ हट के लिखा है …उमीद है पसंद आएगी और आप लोग झेल पाइएगा 😊😊
Duet ग़ज़ल है ये ❤️
122 122 122 122
@sanjeevshukla_
_ @rekhta_ @hindiwriters @hindinamaग़ज़ल - मौसम
ये बारिश का मौसम गुलाबी -गुलाबी
समा है नशीला , शराबी -शराबी ।
निगाहें भी तेरी ,सवाली - सवाली …
तो चेहरा मिरा भी ,किताबी- किताबी ।
अदा हाय ! ये शोख़ियाँ तेरी जानाँ ..
दिलो में करें हैं , ख़राबी -ख़राबी ।
हैं मदहोश सी , ये हवाएँ -फ़जाएँ ..
अजब सी है छाई , ख़ुमारी -ख़ुमारी ।
सिमटने लगी हैं ये ख़ामोशियाँ भी
तेरा इश्क़ तो है , जवाबी -जवाबी ।
झुका लो तुम अपनी नशीली निगाहें..
ये दिल हो न जाए , शराबी -शराबी ।
फ़साना तो ये इश्क़ -ओ-हुस्न का है
ये दुनिया बहुत है , सवाली- सवाली ।
@succhiii -
succhiii 49w
@sanjeevshukla_ @rekhta_ @hindiwriters @hindinama @parle_g
1222 1222 122
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
- कैफ़ भोपालीग़ज़ल
गुमां होता है हर -पल मुझको कोई
सदा देता है पल-पल तुझको कोई ।
रखे हैं तेरे ख़त सम्भाल अब -तक ..
कि आहट हो कोई , दस्तक हो कोई ..
शबे- फुरकत कभी ,ख़त्म हो मौला ..
सहर की भी दिखे सूरत तो कोई ।
महक उठती दरो-दीवार घर की ..
सबा लाती तेरी ख़ुशबू जो कोई ।
तेरा ग़म है, तू है ,तो रौशनी है …
वगरना जीस्त बेमक़सद हो कोई ।
@succhiii -
succhiii 51w
@Sanjeevshukla_ @rekhta_ @hindiwriters @hindinama @parle_g
मीटर 1222 1222 1222ग़ज़ल इंतिहा
यही है इंतिहा तो इब्तिदा क्या है
तुम्हीं बतलाओ अब ये माजरा क्या है ।
दिलो में जब नहीं है क़ोई भी दूरी ……
तो बतलाओ मियाँ , ये फ़ासला क्या है ।
अना के शाख़ पे कलियाँ मोहब्बत की ..
यूँ ही गर सूख जाए , सोचना क्या है ।
बहुत नख़रे हैं ज़ालिम ज़िंदगी तेरे ..
दुआ भी काम ना आई , दवा क्या है ।
लहू अश्को का दरिया बन के निकला है ..
बता मेरे खुदा तेरी रज़ा क्या है ।
@succhiiI -
ग़ज़ल
यूँ रस्ता भी देखे न कोई
कि टूटे यूँ , बिखरे न कोई ।
बहे जाये आँखों से काजल ..
रुलाए यूँ …….रूठे न कोई ।
बिछड़ जा ! बिछड़ना अगर है ..
यूँ मुड़ -मुड़ के देखे न कोई ।
जो है आज में है , अभी है ..
सो कल की ख़बर ले न कोई।
है अब संग यादो का बस्ता ..
सहारा ये छीने न कोई ।
©succhiii
-
gazal_e_vishal 12w
तन्हाई के पल मैंने ख़ुद चूने, नसीब की ग़लती न थी
उसे बद'दुआ देता रहा, जिस रक़ीब की ग़लती न थी
©gazal_e_vishal -
gazal_e_vishal 11w
टूटते अंदर दिल में दिल से कोई आवाज़ नहीं सुनता
बस छोड़ जाते हम-नफ़स क्या था राज़ नहीं सुनता
©gazal_e_vishal -
almastwriter 12w
नवरात्रि
हिन्दू नवसंवत्सर २०७९
और नवरात्रि के शुभ अवसर पर
आप सभी को मंगल कामनाएं
मां दुर्गा आप को खुशियां प्रदान करे -
ehsaas_arav 25w
मासूम सा चेहरा, गाल गुलाबी, हल्की सी मुस्कान लिए है,
कोई और नहीं ये खूबी ओढ़े, ये तो मेरी वही प्रिये है,
स्वभाव नरम तो कभी गरम है, चंचल वो मदमस्त पतंग है,
वैसे वो है चांद सी शीतल, कभी वही हड़कंप द्वंद्व है।
~ehsaas_arav -
anshuman_mishra 14w
तुमने मेरे खालीपन को,
मुझसे भी बेहतर देखा था,
काग़ज़ के कोरेपन को भी,
ग़ज़लों में पढ़कर देखा था,
टूटी आशाएंँ देखी थीं,
आंखों का सागर देखा था,
अच्छे से अच्छा देखा था,
बद से भी बदतर देखा था,
भरी हुई, पर खाली दुनिया,
खाली गांँव, शहर देखा था,
खाली वो थाली देखी थी,
खाली कोना हर देखा था,
खाली वो जेबें देखी थीं,
खाली खाली घर देखा था,
तुमने मेरे खालीपन को,
मुझसे भी बेहतर देखा था,
_अंशुमान__ -
kamini_bhardwaj1 12w
कुछ दिन के लिए खुद से ही रूठ जाती हूँ
सैंकड़ों हंगामों के बीच खामोशी चाहती हूँ।
©kamini_bhardwaj1 -
rangkarmi_anuj 12w
मोहब्बत में अब तुम ही तुम हो
ये बताओ हमें तुम कहाँ गुम हो
इस जहान पर बस सिर्फ़ तुम हो
सच में तुम मेरे क़ीमती सुम हो
गर अकेला रह भी जाता हूँ मैं
उस पल में भी सिर्फ़ तुम हो
शब हो या फिर सहर का वक़्त
हर शाम में तुम ही तुम हो
©"अक्स"
©rangkarmi_anuj -
kamini_bhardwaj1 12w
अ जिंदगी तेरे कदमों में सिर रखकर
तुझसे भीख माँगती हूँ
मेरे उन अपनों को थोड़ी सी खुशी दे दे
जिन्हें मैं दिल से चाहती हूँ।
©kamini_bhardwaj1 -
बुरे है!
खुश्क आंखों के समन्दर बुरे है
मेरे हाल-ए-दिल मन्जर बुरे है
तुझे तरकश की समझ तो है
मेरे हिस्से के पत्थर बुरे है
यादें इतनी ही असर करती है
की हम बाहर अंदर बुरे है
मेरे मेहबूब तुझे इल्म तो होगा
इश्क के सब ख़ंजर बुरे है
अगरचे ये बात उठी है गर जिया
तेरी कसम हम अक्सर बुरे है
©parle_g -
gazal_e_vishal 12w
दर्स देगी तमाम उम्र मिरी
किताब समझ पढ़ लेना!
©gazal_e_vishal
