शादी के बाद सिर्फ "घर" ही नहीं,
,
"Inbox" भी साफ रखना पड़ता हैं..||
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sumitrastogi
शिव ही सत्य है❤️
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sumitrastogi 33w
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sumitrastogi 33w
इतनी जल्दी तो काला हिट से मच्छर भी नहीं मरते ,,❌
जितने जल्दी लड़के लड़कियों पर मर जाते हैं ,,
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sumitrastogi 33w
एक पुराने ज़माना था जब हसीनाएं रूठने पर और भी हसीन लगती थी,और
एक आज का ज़माना हैं जो गाली गलौज पर उतर आती हैं..!
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sumitrastogi 33w
डियर लड़कियों
कल मुझे सबसे ज्यादा फ़िक्र आपकी ही हो रही थी...,
और मुझे पूरा यकीन है कि...,
आपको भी मेरी फिक्र हो ही रही होगी...,
अगली बार फिक्र न हो...,
इसलिए कृपया नम्बर का आदान प्रदान करें...,
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sumitrastogi 33w
कागज पे लिख के नाम उसका दरिया में बहा दीजिए..
एक ही थोड़े है वो दुनियां में...दूसरी पटा लीजिए,
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sumitrastogi 33w
भीतर क्या चल रहा है मत पूछो ,
हम मुस्कुराते बहुत अच्छे हैं ..!
#Mahadev ❤️
❤️
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sumitrastogi 33w
"लड़कियों" की एक "समस्या" ये भी है..
कि वे "अपनी बचपन" की "सहेली" को "लँगोटिया यार" भी "नही" कह सकतीं, बेचारियाँ..
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sumitrastogi 33w
असलियत देखकर शरीफों की.....
मुझे गुनाहगार होने पे गुरुर आता है।
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sumitrastogi 33w
शादी के बाद लड़कियों से... बदलने की उम्मीद ऐसे की जाती है जैसे वो लड़की नहीं इच्छाधारी नागिन हों
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sumitrastogi 33w
दिल्ली पहुचनें बाला हू मित्रो
दुआ करना भाभी मिल जाय
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laflamme16 41w
बात अगर इज्ज़त पे आजाये ना,
तो मोहब्बत क्या
दोस्ती भी छोड़ देनी चाहिए || -
masoom_bachchi 43w
Meri zannat-e-jahan
गर तेरी मन्नत-ए-क़बूल हूँ मैं
तो मेरी जन्नत-ए-जहां है तू,
गर तेरी नन्ही-सी-कली हूँ मैं
तो मेरी महकती हुई बगिया है तू,
गर तेरी आँखों की मोती हूँ मैं
तो मेरी आँखों की ज्योति है तू,
गर तेरी भविष्य की सहारा हूँ मैं
तो मेरे जीवन का उजियारा है तू,
हाँ, तेरी हीं साया हूँ मैं
मेरी हर मर्ज़ की दवा है तू,
हाँ, तूने हीं मुझको तपना सिखाया
मेरी थकान में शीतल छाया भी तू,
तू कहती है, तुझे कुदरत से मिली उपहार हूँ मैं,
ये सच है माँ, मुझे क़िस्मत से मिली Iसन्सार है तू!
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masoom_bachchi 43w
Bachchi
जरूरतें पूरी नहीं हुईं मेरी
मैंने मेरे हीं ख़्वाहिशों को दफना दिया,
हालातों से कुछ यूँ समझौता हुआ मेरा
उम्र से पहले हीं 'बच्ची' को बड़ा बना दिया।
खिलौने की किमत ऊँची थी
मैंने 'चाहत कलम की है ' बता दिया,
सपनों से कुछ यूँ इश्क़ हुआ मुझे
मैंने किताबों से दिल लगा लिया।
चाहत तो थी मुझे भी मासूम रहने की
पर वक़्त ने मुझे समझदार बना दिया,
नादानियाँ करने की वज़ह नहीं थी मेरे पास
वक़्त ने मुझे बेवजह ही जिम्मेदार बना दिया।
मेरे संघर्षों को देखकर अक्सर
उसने आँखों से आँसू छलका दिया,
'प्रेरणादायी कहानी लिखूँगी, माँ! '
ये कहकर मैंने उसको हँसा दिया।
जरूरतें पूरी नहीं हुईं मेरी
मैंने मेरे हीं ख़्वाहिशों को दफना दिया,
हालातों से कुछ यूँ समझौता हुआ मेरा
उम्र से पहले हीं 'बच्ची' को बड़ा बना दिया।
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masoom_bachchi 42w
छन्न - छन्न (part1)
रात के 9:30 बज रहे थे, गांव में किसी के शादी के निमंत्रण पर पापा वहां गए थे ,,,,इस कारण मां ने भी घर पर खुशबू के पसन्द के आलू के परांठे बना दिया और बाजार से कुछ मिठाईयां भी मंगवा लिए..
मा के काम में खुशबू ने भी जीतना हो सके हाथ बटाया.. उसके बाद मा अपनी छोटी बहन प्रभा के कॉल आने पर खुशबू को पढ़ने के लिए कहती है और ये भी कहती है कि बात करके दोनों खाना खाएंगे साथ ही।...खुशबू भी समझ चुकी थी कि अब इतनी जल्दी तो खाना मिलने वाला है नहीं ... इतनी जल्दी कहा होने वाली थी इस वार्तालाप की समाप्ति... आख़िर दो बहनों की बातें थीं । ये सब सोचकर खुशबू भी अपने नोट्स बनाने बैठ गई ...
इधर खुशबू के कमरे में कलम और कागज के बीच अफ़ना - तफ़नी मची हुई थी... तो उधर मा भी कहा कम थी उन्होंने भी फोन पर ही कभी ठहाके ( मानो यारों की महफ़िल में हो) तो कभी गंभीर मुद्रा में (मानो किसी सीरियस बिज़नेस डील को लेकर ऑफिस मीटिंग् में मीटिंग हेड हों) अपने कमरे में अकेले ही महफ़िल जमा रखी थी ।
पूरे एक घंटे के धुआंधार बातचीत के पश्चात वक्त से समझौता करते हुए दोनों ने कॉल डिसकनेक्ट करने का फैसला लिया तब जाकर किसी तरह मोबाईल को भी थोड़ी सांस लेने की फुर्सत मिली। मा कमरे में आयी तो देखा खुशबू पढ़ रही थी पर मा ने वक्त को देखते हुए कहा कि चलो पहले खाना खालो फिर पढ़ाई करना ...
दोनों ने खाना खाए ...सारा चिली केचअप सिर्फ दो दिनों में ख़तम करने के लिए खुशबू को आलू पराठे के साथ-sath थोड़े बहुत डांट भी खानी पड़ी... मा अपनी रसोई के काम निपटाने लगी और खुशबू अपने लिए और मा के लिए पानी के बोतल भर कर उनके जगह पर रख लिए य तो मा को कभी कभी रात को प्यास लगती ह पर खुशबू को रात को पानी की बोतल उसके पास न मिले तो नींद में ही सारा घर नाप देती थी। मां अपने काम के बाद सोने चली गई जबकि खुशबू ने थोड़ी देर और पढ़ने का फैसला किया।।। चेप्टर कंपलीट हो जाने पर खुशबू अपने आदत क अनुसार मोब. में कुछ देर "प्रेमचन्द की निर्मला " किताब पढ़ी और फिर वही सो गई ।।।
Continued...,,✍️
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masoom_bachchi 42w
छन्न - छन्न (part-2)
रात क दो बजे थे ... खुशबू नींद में ही अपने सिरहाने अल्मारी पर रखे बॉटल की तरफ हाथ बढ़ा रही थी कि तभी उसे कोई आवाज़ सुनाई दी ..chañchnn channññ
पहले तो समझ नहीं आया फिर जब दोबारा बॉटल की तरफ हाथ बधाई फिर से उसे अवाज़ सुनाई दी ..मानो पायल की झंकार धीरे धीरे उसके कानों में नृत्य करते हुए प्रवेश किए हो... इतना सुनने के बाद उसकी नींद खुलती है और वो सहम जाती ह . आज उसकी प्यास भी बिना पानी के ही जा चुकी थी.....घबराहट में वो कुछ बोल नहीं पा रही थी....बस अपने चारो तरफ देखे जा रही थी जब भी वो थोडी भी इधर उधर हिलती तो मानो कोई अपना नृत्य सुरु कर दे रहा था र पायल की मद्धम झंकार उसके कानों में गूंज उठती थी। .…. उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई उस पर निगरानी रख रहा हो... वो और सहमति गई अब वो इस हालत में भी नहीं थी कि वो मा को आवाज़ दे ...
उसे लग रहा था सिर्फ थोड़ी बहुत इधर उधर होने से पायल बजने लगा रही है तो ...आवाज़ निकालने पर कही आज मेरी वर्षों की भूत देखने वाली इच्छा पूरी ना हो जाए..…. वक्त बीते जा रहा था और वह चुपचाप सहमी हुई वहीं पर सावधान मुद्रा में लेटे हुई थी.…..
इधर जब भी खिड़की के पर्दे हिलडुल रहे थे तो मानो इसके सांसों की गति अचानक से तेज हो जाती थी….. पसीने से लथपथ ठीक से सांस भी लेने में उसे डर लग रहा था। ...जब भी सड़क पर कोई गाड़ी जाती-आती है या फिर किसी तरह की आवाज आती थी वह डर के मारे चुपचाप से सहम जाती थी और उसका चेहरा लाल हो जाता है....
Continued..,,✍️✍️
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छन्न - छन्न (part-3)
3 बजने वाला था ....किसी भूत की पिक्चर में उसमें देख रखा था कि 2:00 से 3:00 के बीच भूतों की शक्ति अपार होती है ..जैसे ही घड़ी पर नज़र गई उसका डर और बढता जा रहा था..
घड़ी की सुई धीरे-धीरे आगे बढ़ती जा रही थी और खिड़की से थोड़ी थोड़ी रोशनी आनी शुरू हो गई ..अब जाकर खुशबू की जान में जान आई ...पर फिर भी वह अभी उठने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी.
..4:30 बज चुके थे ...इधर मम्मी के अलार्म बजे... और फिर कुछ समय बाद वह खुशबू को जगाने उसके कमरे की तरफ बढ़ी .…जैसे ही दरवाजा खोला तो उन्होनें जो देखा , उससे वो दंग रह गई... खूसबू अपने बेड पर एक कोने में बैठी थी मानो एक छोटी सी , डरी सहमी सी बच्ची है ..…... पसीने से लथपथ चेहरे को देखकर वह दौड़ती हुई ख़ुशबू के पास जाती है ,और पूछती है ...कि क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यों है और इतनी ठंड में तुम्हारे चेहरे पर ये पसीने कैसे?... खुशबू ने एक-एक बात बताएं और फिर मानो वह रोने ही वाली थी कि तभी......
.... मा ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा -एम सॉरी बेटा !तुम ये पायल खोल दो, मैंने कल शाम को तुम्हें ज़बरदस्ती ये पायल पहनने को कहा था... लड़कियों के पैर में पायल अच्छा लगता है पर तुम्हें पहना कर से से शायद मैंने बहुत बड़ी गलती की है....।।,लाओ इधर मैं खोलती हूं इसे अभी।
तब जाकर ख़ुशबू को पता चलता है कि उसके ज़रा से हरकत पर वो chhnn chhnn chhnn chhnn की आवाज क्यों आने लगती थी.… उसके ज़रा सा हिलने पर पायल इसलिए बज रहा था क्योंकि यह उसी के पैरों में था....
और फिर चेहरे पर थोड़ा सा शर्म, थोड़ा सा डर, थोड़ा सा गुस्सा लिए मुंह बिचकाते हुए उसने अपने मम्मा से कहा कि मैंने कहा था ना कि मुझे यह सब नहीं पसंद है ...आपने फिर भी मुझे पहनाया मुझे और मैं रात के 2:00 बजे से अभी तक जाग रही हूं ,ऊपर से डर से मेरी हालत पंचर हो रही थी।
मां ने हंसते हुए उसके पैरों से पायल को निकाला और कहती हुई चली गई "ये लड़की पागल है ।"
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shobharani 42w
Happy friendship day to all my mirakee friends
#mirakee #friendship
PinterestDosti
कमी नहीं है रिश्तो की जिंदगी में,
फिर भी कुछ खाली खाली है रहता है अंतर्मन में,
उस खालीपन को जो भर दे वही तो है दोस्ती.
हर मर्ज की दवा है तो बस दोस्ती
मन की भावनाओं को जो सहेज सके
मन में अपने वही तो है दोस्ती
हंसी में किलकारी तो दर्द में दवा,
वही तो है दोस्ती
भूले से भी ना भूले जो एक नाता जीवन में
वही तो है दोस्ती
कितनी भी हो दूरी
मन से मन मन रहे जुडी़ हर पल
इसी को तो कहते हैं दोस्ती..
मन कृष्ण तो तन सुदामा
वही तो है दोस्ती
प्यार अथाह स्नेह असिमीत
न भेद न भाव
जल सा निर्मल जो हो
वही तो है दोस्ती
जीवन में जो बिखेरे अनेकों रंग
वही तो है दोस्ती..
©shobharani -
मां पर कविताएं लिखकर महिमामंण्डन करने वालों से मेरा यह प्रश्न है कि आप सेवा कितनी करते हैं अपनी मां की?
कसम से मैंने मां बाप के मरने पर रोने वाले तो फिर भी देख लिए, मगर जीते जी मां पिता की सेवा करने वाले,उनके पैर दबाने वाले दुर्लभ प्राणी नहीं देखे। फिर किस बात का महिमामण्डन भाई...
थोड़ा झांको अपने गिरेबान में भाईयो, लौकी तो छोड़ो तुम तो टिण्डे खिलाने के भी लायक नहीं हो, और मांगते हो मां से रोज नए पकवान। गर्ल फ्रेंड के लिए बात बात पर मरने वाले हरामखोर आशिकों डूब मरो, अगर मां के दर्द को कभी नही महसूस किया तुमने। -
भले ही औकात के ऊंचे हो तुम
पर दो कोड़ी का कायदा है तुम्हारा
की भले ही औकात के ऊंचे हो तुम
पर दो कोड़ी का कायदा है तुम्हारा
अपना फायदा देखकर बात करते हो
मुझसे दूर रहने में ही फायदा है तुम्हारा। -
shobharani 51w
#mirakee #miraqui #hindi
वक्त लगता है,
'कुछ वक्त' को 'वक्त' देने में,
कुछ 'पलों' में ही तय नही होते,
ये 'कुछ वक्त' के फासलें..!
Pic credit #pinterestवक्त लगता है,
'कुछ वक्त' को 'वक्त' देने में,
कुछ 'पलों' में ही तय नही होते,
ये 'कुछ वक्त' के फासलें..!
©shobharani
