जन्माष्टमी
हाथी घोड़ा पाल की, जय कन्हैया लाल की ।
देवकी नंदन गोपाल कि, जय कन्हैया लाल की ।।
राह दिखये मेरा कन्हिया,
सबको सत्य या विश्वास की ।
साथ निभाए मेरा कन्हिया,
बनके जिंदगी का सारथी ।
रक्षा करे मेरा कन्हिया,
दुनिया के हर परिवार की ।
हाथी घोड़ा पाल की, जय कन्हैया लाल की ।
देवकी नंदन गोपाल कि, जय कन्हैया लाल की ।।
विदित मित्तल
©svalekhn
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svalekhn 37w
@svalekhn @writersnetwork
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
हाथी घोड़ा पाल की, जय कन्हैया लाल की ।
देवकी नंदन गोपाल कि, जय कन्हैया लाल की ।।
राह दिखये मेरा कन्हिया,
सबको सत्य या विश्वास की ।
साथ निभाए मेरा कन्हिया,
बनके जिंदगी का सारथी ।
रक्षा करे मेरा कन्हिया,
दुनिया के हर परिवार की ।
हाथी घोड़ा पाल की, जय कन्हैया लाल की ।
देवकी नंदन गोपाल कि, जय कन्हैया लाल की ।।
विदित मित्तल -
कही पर अंबार लगा है खुशी का ,
कही पर माहोल बना है युद्ध का ।
केसे सो सकते हे हम आराम से ,
बुरा हाल जो हुआ हे पड़ोसी देश का ।।
आज वह देश जो झेल रहा है ,
कल हम पर भी वो संकट आऐगा ।
अगर घुस जाऐगा दुशमन हमारे देश में ,
तो केसे हमारा तिरंगा मुस्कुराऐगा ।।
भरोसा हे मुझे कि ,
जीत तो हमारी ही होगी ।
डर है तो बस एक बात का ,
की अब और तबाही होगी ।।
क्योकि.....
अब हर कोइ अपनी ताकत दिखाऐगा ।
और देश का बच्चा बच्चा ,
लहू लूहान हो जाऐगा ।।
विदित मित्तल
©svalekhn -
वक्त़ दिया जिसको हमने हर दफा,
माना था जिसको हमने अपना सदा ।
किसी और के लिए आज वह मुझे छोड़ गया,
देखते देखते वो आज अजनबी हो गया ।।
एक वक्त था जब उसको,
भरोसा ना था किसी अजनबी पर ।
मैं हर कदम साथ खड़ा था उसके मगर,
कोई और उसके लिए खास हो गया ।।
देखते-देखते मैं आज अजनबी हो गया ।।
देखते-देखते मैं आज अजनबी हो गया ।।
विदित मित्तल
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svalekhn 47w
मैंने पूछा वक़्त से-
कि तुम थोड़ा ठहर क्यों नहीं जाते ।
तो वक़्त मुस्कुराता हुआ बोला-
बेटा मैं रुक गया अगर ।
तो तेरी ज़िंदगी में कुछ नया नहीं हो पाएगा ।।
एक पल तू होगा उदास ।
तो दूसरे पल कैसे तू मुस्कुराएगा ।।
विदित मित्तल
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कि तुम थोड़ा ठहर क्यों नहीं जाते ।
तो वक़्त मुस्कुराता हुआ बोला-
बेटा मैं रुक गया अगर ।
तो तेरी ज़िंदगी में कुछ नया नहीं हो पाएगा ।।
एक पल तू होगा उदास ।
तो दूसरे पल कैसे तू मुस्कुराएगा ।।
विदित मित्तल
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svalekhn 48w
Tag your special ones, or any of those with whom you Feel relatable with the lines
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svalekhn 53w
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svalekhn 55w
एक लेख उन सबके लिऐ जिन्होने अपनो को खोया ।
My hearty condolences and don't loose hope don't get weak ❤️❣️❣️❣️
उमीद है ऐ लेख सबको हिम्मत देगा ।।
प्रेरक श्रद्धांजलि
जो चला गया वह चला गया ।
लौट के ना अब आएगा ।।
जानते हैं यह दर्द जिंदगी का ।
तुम्हें जिंदगी भर तड़पाऐगा ।।
लेकिन अब तुम टूट नहीं सकते ।
जिंदगी से रूठ नहीं सकते ।।
अपनों का हाथ थाम कर ।
तुम्हें आगे बढ़ना होगा ।
अब बदल लो अपना चाल ढाल ।
पहले तू अपने आप को संभाल ।।
उठाना है तुझे परिवार का बोझ ।
इसलिए सबसे पहले तू अपने आंँसू पोछ ।।
याद रखना हमेशा तू यह बात ।
तेरे दोस्त निभाएंगे तेरा साथ ।।
जब जब कमजोर पड़े तू ।
बिना सोचे दोस्तो को कर लेना तू याद ।।
विदित मित्तल
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svalekhn 56w
जीत हार भूलकर ।
हार को जीत में बदल कर ।।
अब तू आगे बढ़ता चल ।
परायों का तू पेट भर ।।
सब से 2~गज की दूरी बनाकर ।
मास्क मूँह पर लगाकर ।।
अपनों कि तू मदद कर ।
कोरोना से तू युद्ध कर ।।
भ्रष्टाचार तू भूल जा ।
अब तो अपना कर्म निभा ।।
मत बैठ तू भगवान के भरोसे ।
क्या पता वह भी
पुकारता हो किसी भूके के पेट से
मेरा भक्त अब तो मुझे कुछ खाने को पारोसे ।।
विदित मित्तल
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svalekhn 60w
Thankyou everyone for supporting.
Today we have completed our one year and all the credit goes to all my readers and followers.
Tag your friends and biginner writing friends and encourage them to write more .
Lots of love....❣️
लिखना हमने शुरू किया था ।
शौक शौक में पेज बना था ।।
स्वलेखन मेने नाम रखा था ।
सबने नाम को पसंद किया था ।।
तब नहीं पता था कि,
लिखना एक आदत बन जाएगा ।
नहीं पता था,
हमारा स्वलेख सबको इतना पसंद आएगा।।
शुकरिया उन सबका जिसने प्यार दिया ।
शुरु से आखिर तक जिसने भी साथ दिया ।।
आज हमने पूर्ण एक साल किया ।
छोटा सा परिवार हमने अपने नाम किया ।।
विदित मित्तल
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